tag:blogger.com,1999:blog-9028878184487120514.post4055668668679227457..comments2022-03-29T16:50:36.695-07:00Comments on वाणी: सुर न सधे क्या गाऊ मैं ?Radhika Budhkarhttp://www.blogger.com/profile/11776018648214285308noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-9028878184487120514.post-23354718237093221632008-08-26T00:53:00.000-07:002008-08-26T00:53:00.000-07:00अजय जी,सबसे पहले तो आपको व आपकी बेटी को शुक्रिया क...अजय जी,सबसे पहले तो आपको व आपकी बेटी को शुक्रिया कहना चाहूंगी की आपने विचित्रवीणा को चुना,वह विचित्रवीणा सीख रही हैं यह बहुत खुशी की बात हैं. <BR/> किसी भी साज को पाने के लिए रियाज़ का बहुत महत्व होता हैं.मैं आपसे यह जानना चाहूंगी की आपकी बेटी ने पहले कही संगीत सिखा हैं ? यानि कुछ गाना वगेरे ,विचित्र वीणा में परदे नही होते यह तो आप भी जानते ही होंगे,इसलिए सुरों का पक्का होना बहुत जरुरी होता हैं,अगर उन्होंने पहले संगीत की शिक्षा नही ली हैं तो उन्हें विचित्र वीणा के साथ साथ गायन की भी थोडी शिक्षा दिलवाइए,सबसे महत्वपूर्ण होता हैं सुर,सुर सच्चा लग जाए तो ईश्वर मिल जाता हैं,अगर वह सुर की पक्की होंगी तो विचित्र वीणा बजाना भी कठिन नही हैं ,दूसरा............... संगीत श्रवण विद्या हैं ,जितना हो सके अच्छा शास्त्रीय संगीत उन्हें सुनवाइये ,दिन भर घर में बजता रहे ,वोकल ,इंस्ट्रुमेंटल कुछ भी,हम बैठकर ध्यान देकर न भी सुने तो भी वातावरण में घुमने वाले स्वर और संगीत की बाकि बारीकिया हमारा दिमाग संजोता रहता हैं,आज हमे इसका पता न चले तब भी धीरे धीरे सब याद आता हैं.सतत रियाज़ उचित मार्गदर्शन और अपनी कला से प्रेम करने से वह निश्चित ही एक सफल वीणा वादिका होजयेंगी .मेरी शुभकामनाये .Radhika Budhkarhttps://www.blogger.com/profile/11776018648214285308noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9028878184487120514.post-9771770267081318582008-08-25T21:33:00.000-07:002008-08-25T21:33:00.000-07:00राधिका, मेरी बेटी फिलहाल गंधर्व महाविद्यालय की छात...राधिका, मेरी बेटी फिलहाल गंधर्व महाविद्यालय की छात्रा है लेकिन वो विचित्र वीणा सीखना चाहती है। मैं रहता दिल्ली में हूं लेकिन ग्वालियर में मेरा घर है जहां मैं आता-जाता ही रहता हूं। उसे आपकी तरह विचित्र वीणा में पारंगत करने के लिये मुझे क्या करना चाहिये। <BR/>अजय शर्मा, नई दिल्लीकंदील, पतंग और तितलियांhttps://www.blogger.com/profile/03130948842646528386noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9028878184487120514.post-51967081720256792762008-08-25T14:12:00.000-07:002008-08-25T14:12:00.000-07:00बढ़िया चल रहा है राधिका सुरों का सफर । चलती चलो, ...बढ़िया चल रहा है राधिका सुरों का सफर । चलती चलो, बढ़ती रहो।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9028878184487120514.post-30073339442092943052008-08-25T11:22:00.000-07:002008-08-25T11:22:00.000-07:00आप चाहे लेखक हो,संगीतघ्य हो,चित्रकार हो ,उस विधा म...<B>आप चाहे लेखक हो,संगीतघ्य हो,चित्रकार हो ,<BR/>उस विधा में आपको स्वयं को भुला देना होता हैं,<BR/>और एक बार जब ये कलाए आपको अपना बना लेती हैं,<BR/>जब आप इनके आनंद में खो जाते हैं ,<BR/>तो दुनिया में कोई दुःख नही रहता ,<BR/>कोई मुश्किल नही रहती ,<BR/>आप योगियों, <BR/>मनीषियों की तरह आत्मानंद प्राप्त करते हैं ।</B><BR/><BR/>मैं तो यहाँ पहली बार आया ! आपके लेखन को <BR/>पढ़ते पढ़ते मंत्रमुग्ध रह गया ! एक एक शब्द माला <BR/>के मनके की तरह पिरोया है ! आपके बारे में जानता<BR/>भी नही हूँ ! पर आपको प्रणाम करने की इच्छा<BR/>हो रही है ! प्रणाम !ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9028878184487120514.post-81976894177300979892008-08-25T10:43:00.000-07:002008-08-25T10:43:00.000-07:00uttam rachna...uttam rachna...Sumit Pratap Singhhttps://www.blogger.com/profile/06852765514850701581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9028878184487120514.post-58405843817196999902008-08-25T10:32:00.000-07:002008-08-25T10:32:00.000-07:00satya vachan..apni kala mein doobna ek aloukik ana...satya vachan..apni kala mein doobna ek aloukik anand deta hai.Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9028878184487120514.post-85820057680548648982008-08-25T09:07:00.000-07:002008-08-25T09:07:00.000-07:00Sahi keh rahi hain aap. kalakar hona waqai me sara...Sahi keh rahi hain aap. kalakar hona waqai me saral nahi hai.Tarunhttps://www.blogger.com/profile/00455857004125328718noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9028878184487120514.post-82740698843060932842008-08-25T03:53:00.000-07:002008-08-25T03:53:00.000-07:00आप सही कह रही हैं। सुरों की साधना बहुत अभ्यास माँग...आप सही कह रही हैं। सुरों की साधना बहुत अभ्यास माँगती है। मैने पढ़ा था कि उस्ताद बिस्सिमल्ला खाँ ने ८० बरस तक सुर की साधना की। और तब भी भगवान के सामने हाथ फैला कर यही कहते थे- मेरे मालिक मुझे एक सुर दे दे। आपकी यही भावना बनी रहे,यही कामना है। सस्नेहशोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.com