Thursday, August 28, 2008

क्या ख्याल हैं आपका?



ख्याल अरबी भाषा का शब्द जिसका अर्थ हैं विचार या कल्पना. आज मेरे मन में विचार आया कि आपको अपना ख्याल बताया जाए .सुंदर,सांगीतिक,स्वरबध्द ख्याल.
जी !सही पहचाना आपने , मैं शास्त्रीय संगीत में प्रचलित ख्याल गायकी की ही बात कर रही हूँ. आप सभी ने जब भी कभी शास्त्रीय संगीत गायन सुना होगा,तो सुना होगा की गायक/गायिका कोई गीत गा रहे हैं ,कभी भक्ति रस प्रधान ,कभी श्रृंगार रस प्रधान,कभी करुण रस का,तो कभी वीर रस का .तो यही गीत शास्त्रीय संगीत में ख्याल कहलाता हैं ,गायक कलाकार अपनी कल्पना के अनुसार गीत की रचना कर ख्याल की प्रस्तुति करता हैं,उस प्रस्तुति में लय, ताल ,और स्वर सम्बन्धी सभी कल्पनाये आ जाती हैं.

अमीर खुसरो का नाम तो पक्का सुना होगा आपने ,जी जिन्हें ख्याल ,तबला,और न जाने कितनी सांगीतिक विधाओ का जन्मदाता ,अविष्कारक माना जाता हैं,पर यहाँ मैं यह बता दू की ऐसा कुछ भी नही हैं,अमीर खुसरो जी ने न तबला बनाया नही ख्याल. प्राचीन काल में हमारे यहाँ रुपकालाप्ती गान प्रचलन में था इसी पर आधारित गायन शैली को अमीर खुसरो साहब ने सिर्फ़ नाम भर दिया था "ख्याल".

संगीत से जिनका थोड़ा बहुत परिचय हैं वह जानते हैं सदारंग अदारंग का नाम,बहुत सारी ख्याल गायन की चीजों ,बंदिशों ,ख्यालो अर्थात हमारे साधारण भाषा में गीतों में इनका नाम रचनाकार के रूप में हैं,इन्होने ही ख्याल गायन का प्रचार किया जो आज भारतीय शास्त्रीय संगीत गायन का प्राण बन चुका हैं .

ख्याल दो प्रकार के होते हैं एक बड़ा ख्याल ,अब इनका नाम ही बड़ा हैं,तो यह भाई साहब जरा आराम पसंद हैं आख़िर छोटे पर रोब जो दिखाना हैं :-)तो यह भाई साहब जरा अपने डील डोल के साथ धीरे धीरे ,कम लय अर्थात सांगीतिक भाषा मैं धीमी गति , विलंबित लय में चलते हैं , इसलिए इज्जत से लोग इन्हे विलंबित ख्याल भी कहते हैं .इन भाई साहब के रचनात्मक रूप से दो अंग होते हैं सभी ख्यालो की तरह वह ---स्थायी - अंतरा.सभी ख्यालो की तरह बड़े ख्याल भाई साहब में भी ४-६ पंक्तियों की गीत रचना होती हैं .

घर में जो छोटे होते हैं ,चाहे कितने बड़े क्यों न हो जाए ?कितना नाम क्यो न कर ले ?बिचारे !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!सब उन्हें छोटे.......................यही आवाज देकर पुकारते हैं ,हमारे शास्त्रीय संगीत गृह के छोटे ख्याल के साथ यही हुआ हैं ,सब उन्हें "छोटा ख्याल "यही कहते हैं,और तिस पर मुश्किल यह की बड़े भाईसाहब अर्थात विलंबित ख्याल साहब तो धीमे धीमे मंदर गति में आलाप करते हैं,गमक ले लेते हैं ,छोटी मोटी धीमी ताने ले लेते हैं,और चुप हो जाते हैं . असली मेहनत का काम इन छोटे जनाब को ही करना पड़ता हैं,गायक लोग इनको द्रुत लय में गाते हैं , इन्ही में बड़ी कठिन कठिन लय की ताने लेते हैं ,और कितनी ही कठिनतम गायन क्रियाए लेते हैं,बिचारे भाग दौड़ कर थक जाते हैं ,फ़िर भी छोटे ही कहलाते हैं,सभी सरल कठिन तालो से इनका दोस्ताना हैं ,पर तीनताल इनका बेस्ट फ्रेंड हैं ,वैसे एकताल आदि तालो में भी इन्हे काफी गाया जाता हैं पर तीनताल में इन्हे सबसे ज्यादा गाते हैं.

लीजिये अति आदरणीय पंडित जसराज जी ने भी इन छोटे ख्याल साहब को ही अत्युत्तम रूप से राग शंकरा ताल त्रिताल में गाया हैं ,सुनिए आदरणीय पंडित जसराज जी का गाया राग शंकरा ...











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5 comments:

Anonymous said...

radhika ji, hamara to pata nahi lekin aapka khayal to lajwab hai.
sangeet k visay me itni achchhi jankariya dene k liye shukriya.

vishalvermaa.blogspot.com

पारुल "पुखराज" said...

:)
bahut halkey phulkey tareekey se aapney khayaal gayaki samjhaayii:)..bahut sundar...pandit ji ko sun rahi huun aabhaar

महेन said...

आनंदम! आनंदम!
अगर शास्त्रीय संगीत का बेसिक भी आप साथ-साथ बताते चलें तो कई लोगों को काफ़ी सुविधा होगी आपके ब्लोग के साथ कदमताल करने में।

Udan Tashtari said...

बेहतरीन...आभार इस प्रस्तुति के लिए.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

Wah ji Wah ..Chote Khayal Sahab se milker bahut khushee huee ..aur Pandit ji ka "SHANKARA " Uski to baat hi nirali hai ..
aap bahut achchi tarah bata raheen hain ..
- Lavanya