Saturday, August 30, 2008

संगीत का बेसिक

कल मुझे कहा गया की मैं संगीत विषयक जानकारी देने के साथ ही शास्त्रीय संगीत का बेसिक भी बताती चलू . वैसे तो मैंने अभी तक जो भी बताया हैं ,वह शास्त्रीय संगीत की वही जानकारी थी जो एक संगीत रसिक जानना चाहता हैं ,मैंने संगीत की उत्पत्ति ,राग ,वाद्य ,गायन आदि के बारे में लिखा,पर कल की टिप्पणी से मुझे लगा की अभी और बेसिक जानकारी दी जानी चाहिए ,इसलिए आज हम एकदम शुरू से शुरू करते हैं .

सभी जानते हैं की संगीत में सात स्वर होते हैं ,सा रे ग म प ध नि.इन्ही स्वरों के आधार लेकर शास्त्रीय संगीत की पुरी ईमारत खड़ी हैं ,ये सात मूल स्वर होते हैं ,साथ ही इनकी श्रुतिया उपर निचे जाने से कोमल विकृत स्वर बनते हैं ,इस प्रकार कुल १२ स्वर होते हैं,अब आप पुछंगे की ये श्रुतिया क्या हैं ?श्रुति अर्थात बारीक़ बारीक़ बारीक़ स्वर ,जब हम एक स्वर से दुसरे स्वर को जाते हैं तो बीच में कई बहुत बारीक़ स्वर भी लगते हैं ,कुल मिलकर २२ श्रुतिया बताई गई हैं ,

किसी स्वर की आवाज़ को मानले- ग को हम निचे घटाके गाते हैं . तो वह कोमल स्वर होता हैं और जिसको हम बढा कर गाते हैं जैसे -म तो वह तीव्र स्वर बन जाता हैं .

शास्त्रीय संगीत में एक चीज़ होती हैं ठाठ ,ठाठ वह जिससे राग उत्पन्न होता हैं,नाद से स्वर ,स्वर से सप्तक ,और सप्तक से ठाठ उत्पन्न होता हैं,शुध्ध विकृत सप्तक से अलग अलग ठाठ बने हैं ,और ठाठ से उत्प्प्न होता हैं राग .भातखंडे जी ने समस्त रागों के १० ठाठ बताये हैं ,जो की हैं -यमन ,बिलावल,खमाज,भैरव,पूर्वी,मारवा ,काफी ,आसावरी,भैरवी ,और तोडी .

राग के बारे में पहले भी मैंने बताया हैं ,जिसमे स्वर वर्ण हो वह राग,जैसे राग यमन का उदाहरन ले -

राग यमन में सातों स्वर लगते हैं सब स्वर शुध्ध केवल नि कोमल होता हैं,यह राग बहुत ही मधुर हैं ,इसका गायन समय रात्रि का प्रथम प्रहर हैं -लीजिये सुनिए राग यमन में एक सुंदर गीत -जीवन डोर तुम्ही संग बांधी--



अब रोज़ मैं आपको एक राग की जानकारी दूंगी ,फ़िर एकेक गायन वादन क्रियाओ से मैं आपका परिचय करवाउंगी .

13 comments:

अनुनाद सिंह said...

राधिका जी,

संगीत की जनकारी देने के इस कार्य को आरम्भ करने के लिये साधुवाद। ऐसे ही नये-नये कार्यों एवं योगदानों से इन्टरनेट पर भी हिन्दी अपना सम्मानित स्थान पायेगी।

आपसे निवेदन है कि हिन्दी विकिपीडिया (http://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%96%E0%A4%AA%E0%A5%83%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%A0) पर भी संगीत के कुछ उपविषयों (टापिक्स) पर कुछ लेख लिखिये।

Anonymous said...

बहुत आभार, हम बहुत गौर से पढ़ रहे हैं, लिखती रहिए. एक विनम्र सुझाव ज़रूर है-आप शायद गूगल ट्रांसलिटरेशन से लिख रही हैं इसलिए वर्तनी की ढेर सारी गड़बड़ियाँ हो रही हैं, कृपया एक बार जाँच लीजिए, अँगरेज़ी अक्षरों का क्रम बदलकर, अक्षर बदलकर देखिए, गूगल से लगभग हर तरह के हिंदी शब्द सही लिखे जा सकते हैं, इतनी सुंदर जानकारी में थाट को ठाठ लिखना थोड़ा खलता है. आशा है आप बुरा नहीं मानेंगी, बहुत उपयोगी जानकारी दे रही हैं आप.
अनामदास

Radhika Budhkar said...
This comment has been removed by the author.
Radhika Budhkar said...

अनुनाद सिह जी आपके बताये अनुसार मैं हिन्दी विकिपीडिया पर लिकने का प्रयत्न करुँगी .

अनामदास जी यह सही हैं की मैं गूगल में ही लिख रही हूँ ,पर सभी संगीत रसिको की जानकारी के लिए बता दू ,कि शास्त्रीय संगीत में थाट को ठाठ भी लिखा जाता हैं . कहा भी जाता हैं ,आप दोनों नाम से पुकार सकते हैं इसे यह ग़लत नही हैं,बिल्कुल सही हैं .

Dr. Chandra Kumar Jain said...

आज से ही मैंने
आपकी कक्षा में
नियमित उपस्थिति का
संकल्प किया है.
======================
आपको शुभकामना सहित बधाई
इससुसंस्कृत...सुंदर...
सांगीतिक प्रस्तुति के लिए.
डॉ.चन्द्रकुमार जैन

siddheshwar singh said...

अब तो यहां नियमित आना होता रहेगा, एक विद्यार्थी के रूप में.

महेन said...

धन्यवाद आपने सुझाव को गंभीरता से लिया। आपका काम बढ़ जाएगा मगर हिंदी इंटनेट जगत में कुछ गंभीर काम होगा इससे उसका मूल्य बढ़ेगा ही।
यह छात्र भी नियमित होने का प्रण ले चुका है।

अजित वडनेरकर said...

बढ़िया है जी । हम भी आते रहेंगे क्लास में...

अजित वडनेरकर said...

वर्तनी की कुछ गलतियां तो मराठी प्रभाव के कारण हो ही जाती हैं जो मराठीभाषी हिन्दीप्रेमियों के लिए हमेशा उपालम्भ की वजह बनती रही हैं।
कुछ ग़लतिया सचमुच रोमन या ट्रांसलिट्रेशन की वजह से हो रही हैं , जैसा कि अनामदास जी कह रहे हैं।
दोनों ही बातें प्रयास से धीरे धीरे दूर की जा सकती हैं। कोई जल्दी नहीं है। सीखना - सिखाना जीवन में चलते रहना चाहिए....

दिनेशराय द्विवेदी said...

आप से कुछ सीखेंगे ही, कुछ अपनी धारणाएँ सुधारेंगे।

जितेन्द़ भगत said...

मुझे भी इस क्‍लास में ऐडमि‍शन चाहि‍ए। वर्षों का सपना था संगीत सीखने का, आप क्‍लास बंद मत कीजि‍एगा। सीखना तो कठि‍न है पर राग से संबंधि‍त फि‍ल्‍मी गीत सुनकर अच्‍छा लग रहा है।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

राधिका जी जैसी गुणी टीचर अनायास इन्टरनेट के जरीये मिल गईँ हैँ !
अब तो बाकायदा सँगीत शिक्षा आरँभ हो गई हमारी भी :)
- गुरु दक्षिणा भी ले लीजियेगा-
अभी धन्यवाद ही कह रहे हैँ
- जारी रखियेगा .
स्नेह ,

- लावण्या

RADHIKA said...

सभी सुधि वाचको को यह बताना चाहती हूँ की इस ब्लॉग का पासवर्ड खो जाने से मैंने एक नया ब्लॉग बनाया हैं जिसका नाम हैं वीणापाणी . जिसका URL हैं http://vaniveenapani.blogspot.com/ वाणी ब्लॉग पर लिखी जाने वाली सामग्री अब मैं इस नए ब्लॉग पर लिख रही हूँ